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Chaupai Sahib is a powerful prayer composed by Guru Gobind Singh Ji, found in the sacred Dasam Granth. It is recited by Sikhs across the world for protection, inner strength, and spiritual upliftment. This bani is part of the daily Sikh prayer routine (Nitnem) and is especially known for removing fear and bringing peace.

On this page, you will find the complete Chaupai Sahib Path in Hindi script, making it easier for Hindi-speaking devotees to read, understand, and recite the bani. Whether you’re new to Sikh prayers or looking for a Hindi version for your daily routine, this page will serve as a helpful spiritual resource.

Chaupai Sahib Path in Hindi (With Full Lyrics)


श्री वाहेगुरु जी की फतेह ॥
पातशाही १० ॥
कबियो बाच बेनती ॥
चौपई ॥

हमरी करो हाथ दै रछा ॥
पूरन होइ चित की इच्छा ॥
तव चरनन मन रहै हमारा ॥
अपना जान करो प्रतपारा ॥१॥

हमरे दुस्ट सभै तुम घावहु ॥
आपु हाथ दै मोहि बचावहु ॥
सुखी बसै मोरो परिवारा ॥
सेवक सिख सभै करतारा ॥२॥

मो रछा निज कर दै करियै ॥
सभ बैरन को आज संघरियै ॥
पूरन होइ हमारी आसा ॥
तोर भजन की रहै पियासा ॥३॥

तुमहि छाड़ि कोऊ अवर न धियों ॥
जो बर चाऊं सु तुम ते पाऊं ॥
सेवक सिख हमारे तारियै ॥
चुन चुन सत्र हमारे मारियै ॥४॥

आपु हाथ दै मोहै उबारो ॥
मरन काल का त्रास निवारो ॥
हूजो सदा हमारे पच्छा ॥
श्री असिधुज जू करियहु रछा ॥५॥

राख लेहु मोहि राखनहारे ॥
साहिब संत सहाए पियारे ॥
दीन बंधु दुस्टन के हंता ॥
तुमहो पूरी चतुरदस कंता ॥६॥

काल पाइ ब्रहमा बपु धरा ॥
काल पाइ सिवजू अवतरा ॥
काल पाइ करि बिसनु प्रकासा ॥
सकल काल का कीया तमासा ॥७॥

जवन काल जोगी सिव कीए ॥
बेद राजा ब्रहमा थीए ॥
जवन काल सभ लोक सवारा ॥
नमसकार है ताहि हमारा ॥८॥

जवन काल सभ जगत बनायो ॥
देव दैत जछन उपजायो ॥
आदि अंति एकै अवतारा ॥
सोई गुरु समझियो हमारा ॥९॥

नमसकार तिस ही को हमारी ॥
सकल प्रजा जिन आप सवारी ॥
सिवकन को सिवगुन सुख दीयो ॥
सत्रुन को पल मूहि बद कीयो ॥१०॥

घट घट के अंतर की जानत ॥
भले बुरे की पीर पछानत ॥
चींटी ते कूंचर अस्थूला ॥
सभ पर कृपा दृष्टि करि फूला ॥११॥

संतन दुख पाए ते दुखी ॥
सुख पाए साधन के सुखी ॥
एक एक की पीर पछानै ॥
घट घट के पट पट की जानै ॥१२॥

जब उदकरख करा करतारा ॥
प्रजा धरत तब देह अपारा ॥
जब आकरख करत हो कबहूं ॥
तुम मै मिलत देह धर सभहूं ॥१३॥

जेते बदन सृष्टि सभ धारे ॥
आपु आपुनी बूझ उच्चारे ॥
तुम सभ ही ते रहत नियाले ॥
जानत बेद भेद अर आले ॥१४॥

निरंकार निर्बिकार निरलंभ ॥
आदि अनील अनादि असंभ ॥
तां का मूढ़ उच्चारत भेदा ॥
जा को भेव न पावत बेदा ॥१५॥

तां को करि पाहन अनुमानत ॥
महा मूढ़ कछ भेद न जानत ॥
महादेव को कहत सदा सिव ॥
निरंकार का चीनत नहि भिव ॥१६॥

आपु आपुनी बुध है जेती ॥
बरनत भिन भिन तुमते तेती ॥
तुमरा लखा न जाइ पसारा ॥
किह बिध सजा प्रथम संसारा ॥१७॥

एकै रूप अनूप सरूपा ॥
रंक भयो राव कहि भूपा ॥
अंडज जेरज सेतज कीनी ॥
उतभुज खानि बहु रचि दीनी ॥१८॥

कहूं फूल राजा हुइ बैठा ॥
कहूं सिमटि भयो संकर एकैठा ॥
सगरी सृष्टि दिखाइ अचंभव ॥
आदि जुगादि सरूप सुयंभव ॥१९॥

अब रछा मेरी तुम करो ॥
सिख उबारि असिख संघरो ॥
दुस्त जिते उठवत उत्पाता ॥
सकल मलेछ करो रण घाता ॥२०॥

जे असिधुज तव सरणी परे ॥
तिन के दुस्ट दुखित हो मरे ॥
पुरख जवन पग परे तुम्हारे ॥
तिन के तुम संकट सभ टारे ॥२१॥

जो कलि को इक बार धिऐहै ॥
ता के काल निकटि नहि ऐहै ॥
रछा होइ ताहि सभ काला ॥
दुस्त अरिस्ट टरे ततकाला ॥२२॥

कृपा दृष्टि तन जाहि निहरिहो ॥
ता के ताप तनक मो हरिहो ॥
सिध गोसति गरुमुख होई ॥
दुस्त छाह छहै सकै न कोई ॥२३॥

एक बार जिन तुम्है संभारा ॥
काल फास ते ताहि उबारा ॥
जिन नर नाम तिहारो कहा ॥
दारिद् दुस्ट दोष ते रहा ॥२४॥

खड़ग केत मै सरणि तुम्हारी ॥
आप हाथ दै लैहु उबारी ॥
सरब थोर मो होहु सहाई ॥
दुस्त दोष ते लैहु बचाई ॥२५॥

कृपा करी हम पर जगमाता ॥
ग्रंथ करा पूरन सुभ राता ॥
किलबिख सकल देह को हरता ॥
दुस्त दोषियन को छै करता ॥२६॥

श्री असिधुज जब भए दियाला ॥
पूरन करा ग्रंथ ततकाला ॥
मन बांछत फल पावै सोई ॥
दूख न तिसै बिआपत कोई ॥२७॥

अड़ील ॥
सुनै गुंग जो याहि सु रसना पावै ॥
सुनै मूढ़ चित लाइ चतुरता आवै ॥
दूख दरद भै निकटि न तिन नर के रहै ॥
हो जो याकी एक बार चौपई को कहै ॥२८॥

चौपई ॥
सम्मत सतरह सहस भणिजै ॥
अर्ध सहस फुनि तीनि कहिजै ॥
भाद्रव सुदी अश्टमी रवि वारा ॥
तीर सतुद्रव ग्रंथ सुधार ॥२९॥

सवैया ॥
पाइ गहे जब ते तुम्हरे तब ते कोऊ आंख तरे नहि आनयो ॥
राम रहीम पुरान कुरान अनेक कहैं मत एक न मानयो ॥
सिम्म्रिति सास्त्र बेद सभै बहु भेद कहैं हम एक न जानयो ॥
श्री असिपान कृपा तुम्हरी करि मै न कहियो सभ तोहि बखानयो ॥

दोहरा ॥
सगल दुआर को छाड़ि कै गहियो तुम्हारो दुआर ॥
बांहि गहे की लाज अस गोबिंद दास तुम्हार ॥४१४॥

We hope this Chaupai Sahib Path in Hindi brings peace, strength, and divine protection into your life. Regular recitation of this sacred bani connects you with higher spiritual energy and helps overcome challenges with faith and courage.

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Waheguru Ji Ka Khalsa, Waheguru Ji Ki Fateh! 🙏